A story of Heart warming family #4

A story of Heart warming family #4




हेलो दोस्तों कैसे हैं आप ठीक रहना दोस्तों आप की सलामती कि मैं माता रानी से दुआ करती हूं आज संडे है दोस्तों जो कि मेरी रेसिपी के साथ संडे को मेरी कहानी का दिन होता है तो आइए दोस्तों आज मैं आपको एक लड़की की कहानी सुनाती हूं दोस्तों एक परिवार था परिवार में मम्मी थी पापा नहीं थे दोस्तों पापा बहुत पहले बचपन में उनको छोड़कर चले गए थे मां ने अपने तीन बच्चों यानी दो बहन और एक भाई को बहुत लाड़ प्यार से पाला था जिसमें सबसे ज्यादा प्यार बड़ी लड़की को मिला था दोस्तों जिस की कहानी मैं आपको बताने जा रही हूं मैं लड़की चलो दोस्तों हम उस लड़की को एक नाम देते हैं हम उसे कहानी में सुनीता के नाम से बुलाते हैं तो दोस्तों सुनीता एक बहुत अच्छी लड़की थी वह सब को बहुत प्यार से बुलाती थी और अपने दोनों भाई बहन को बहुत प्यार करती थी उनको खाना खिलाना घुमाना और उनका ध्यान रखना सारा काम उनका वही करती थी सुनीता की मां ने उनकी पढ़ाई लिखाई भी कराई सुनीता सिर्फ दसवीं तक ही पढ़ पाएगी क्योंकि उसके सर में दर्द रहता था दर्द भी इसलिए रहता था दोस्तों क्योंकि वह अपने पापा को बहुत ज्यादा याद करती थी फिर दोस्तों धीरे-धीरे दिल गुजरने लगे अब तीनों बच्चे बड़े हो गए फिर मां को उनकी शादी की फिक्र होने लगी सुनीता की जिंदगी में एक लड़का आया जो उसे प्यार करने लगा और सुनीता भी उससे प्यार करने लगी फिर उनकी शादी अपनी पसंद से घरवालों ने शादी करवा दी शादी से रह दोनों बहुत ज्यादा खुश थे फिर उनकी गृहस्थी आगे बढ़ने लगी सुनीता के ससुराल के लोग अच्छे नहीं थे वह उनको तंग करने लगे मगर उसका पति उसका बहुत ज्यादा साथ देता था मैं पूरा दिन काम करती और सब आराम करते फिर फिर उसका पति उसको अलग लेकर रहने लगा वहां वह दोनों खुश रहने लगे वहां पर उनको कुछ दिनों बाद एक बहुत प्यारा बेटा हुआ जो बहुत ज्यादा सुंदर था इससे उनकी जिंदगी में और भी खुशियां आ गई है उसके बच्चे के साथ घूमना फिरना और खुश रहना सिखा दिया अब उसकी जिंदगी में दूसरा खुशी का टाइम आने वाला था थोड़ा दिनों बाद सुनीता ने दूसरे बेटे को जन्म दिया वह भी बेटा उनका बहुत ज्यादा सुंदर और चुलबुला था अब सुनीता की जिंदगी में दो बेटों के साथ जिंदगी बहुत ज्यादा खुशहाल थी मगर यह खुशियां उसके जीवन में ज्यादा टाइम के लिए नहीं थी फिर उसके पति को दिल का दौरा पड़ जाता है और उसमें उसके पति की आवाज चली जाती है अब ना तो मैं कुछ काम का सहारा राव न्यू जिंदगी पर बोझ बनकर दिन बिताने लगा सुनीता अपने पति को समझाती कि सब कुछ ठीक हो जाएगा मगर उसका पति ज्यादा सोचता था कि घर कैसे चलेगा बच्चों की पढ़ाई लिखाई कैसे होगी 7 भाग मगर कहते हैं ना दोस्तों जिसके साथ कोई नहीं होता उनके साथ भगवान होता है सुनीता के दिन किसी न किसी बहाने से अच्छे चलने लगे बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी होने लगी और सारे काम भी होने लगे इसके रहते कि उसके बड़े लड़के ने अपनी बार भी की पढ़ाई पूरी कर ली यह सब सुनीता को अपनी जिंदगी में कोई चमत्कार से कम नहीं लग रहा था बस यही कहानी थी दोस्तों


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 नोट 
इस कहानी का तात्पर्य है कि अपनी नियत ठीक रखो तो सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा

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